विभिन्न प्रकार के चॉकलेट बनाने का संपूर्ण फॉर्मूला एवं निर्माण प्रक्रिया

प्लाण्ट तथा पूंजी निवेश
हमारे देश में फाँन्डेटस अर्थात मुँह में डालते ही घुल जाने वाली मुलायम टॉफियां अधिक लोकप्रिय नहीं, क्योंकि भारतीय हलवाई हर प्रकार की मावे की मिठाइयां बनाते ही हैँ। कारामेल वर्ग की कठोर और चबाकर खाई जाने वाली टॉफियों ही हमारे यहाँ अधिक चलती हैँ और वह भी अनिवार्य रूप से भरपूर मात्रा में चॉकलेट मिली हुई । इनके बड़े निर्माता टेलीविजन पर भरपूर प्रचार करते हैँ, और यही कारण है कि अधिकांश व्यक्ति समझते हैँ कि इनका निर्माण करोडों रुपए के _पूंजी निवेश वाले पूर्ण स्वचालित प्लाण्टों पर ही हो सकता है। मात्र इस एक भरम के कारण ही नए उद्यमी इस उद्योग में प्रवेश करने से डरते हैं जबकि वास्तविकता यह है कि मात्र
दस-पन्द्रह हजार रुपए के उपकरण लेकर ही इन्हे आसानी से तैयार किया जा सकता है । यही नहीं, दो सौ वर्ग मिटर स्थान मे आठ-दस लाख रुपए की मशीने लगा लेने पर तो इनका अच्छा खासा प्लाण्ट ही लग जाता है, क्योंकि स्वचालित अथवा अधिक जटिल मशीनों का प्रयोग इस उद्योग में चाहते हुए भी नहीं कर सकते । परन्तु कार्यकारी पूंजी जितनी हो कम है,क्योंकी छोटे स्तर पर दो माह और बड़े स्तर पर चार माह के उत्पादन व्यय जितनी कार्यकारी पूंजी तो कम से कम चाहिए ही ।
निर्माण प्रक्रिया तथा मशीनें
दस-पन्द्रह हजार रुपए के उपकरण लेकर पचास वर्ग मीटर स्थान मे प्रतिदिन पचास साठ किलोग्राम तक ये मिठाइयाँ आसानी से तैयार की जा सकती हैँ, तो दस-बारह लाख रुपए के प्लाण्ट पर टनों में इनका उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है । इन दोनों के मध्य आप किसी भी स्तर पर प्लाण्ट की सेटिंग कर सक्रत्ते हैं क्योंकि समी म्भीने और उपकरण स्वतव रुप से अलग-अलग कार्य करते हैँ । सबसे वडी बात तो यह है कि इनमे से प्रत्येक कार्य के लिए सामान्य हाथ की जुगाडों से लेकर विशिष्ट मशीनों तक का प्रयोग किया जा सकता है । जहॉ तक निर्माण प्रक्रिया का प्रश्न है सबसे पहले चीनी की चाशनी बनाकर और इस पकती हुई चाशनी में सभी रचक डालकर अच्छी तरह मिलाने और पकाने के बाद काड़ाहीँ आग से उतार दी जाती है और मिश्रण के कुछ गर्म रहते ही प्रारम्भ कर दी जाती है इन्हें आकार देने की प्रक्रिया। बहुत छोटे स्तर पर बिना मशीनों के कारामैल, फंडेंटास और छोटी मुलायम टाफियों का निर्माण करते समय तो मिश्रण की लोई को पत्थर की सिल पर रोटी की तरह बेल लिया जाता है। टाफी की ऊँचाई या मोटाई जितनी मोटी यह रोटी बेलने कै बाद इन्हें छुरी से भी काटा जा सकता है, परन्तु श्रम व समय का बहुत अधिक अपव्यय होगा । इसीलिए बहुत छोटे पैमाने ,पर उत्पादन करते समय भी पीतल कै छल्ले लगे बीसकुट काटने के बेलन का प्रयोग इस कार्य के लिए कििया जाता है। वेसे छोटे से मध्यम स्तर तक पर उत्पादन करते समय इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ रहता है गत चित्र में प्रदर्शित हाथ से पहिया घुमाकर चलाए जाने वाली "टॉफी कटिंग मशीन' नामक उपकरण का प्रयोग । इस मशीन के आधार पर जो चौरस प्लेट लगी है उस पर मिश्रण को रोटी के समान वांछित मोटाई मे बेलकर वह शीट समतल रूप से बिछा कर रख दी जाती है । जब इस मशीन के गोल पहिए में लगे हेंण्डिल को घुमाकर पहिए क्रो घुमाया जाता है, तब बेलन में लगी गोलाकार पत्तियों मिश्रण के ऊपर से गुजरने लगते हैँ, फलस्वरूप मिश्रण कौ शीट वांछित चौडाई की पट्टियों के रूप में कट जाती है । इस मशीन से टाफियां बहुत शीघ्र गति से कटती हैं और अधिक महंगी भी नहीं हैँ । इस मशीन के साथ आप अलग-अलग स्थानों पर काटने वाले ब्लेड लगे कई बेलन भी ले सकते है अथवा एक ही बेलन होने पर छल्लों के मध्य स्थान घटा बढाकर अनेक मापों में मुलायम और कुछ कम कठोर टांफियां काट सकते हैं । यही नही, कारमेल और फैंडेंटस पर किटकेट की तरह दबाव के साथ लाइने डालने का कार्य मी इस कटर पर पहिया बदलकर आप कर सकते हैँ ।
आप किसी भी तरीके से इन टांफियों को काटें, उनकी आकृति चौरस ही रहेगी । इन्हें किंटकेट और फाइव स्टार जैसी आकृति प्रदान करना भी अनिवार्य है । छोटे स्तर पर यह कार्य सोप स्टेम्पिग मशीनों पर आसानी से किया जा सकता हे । इस मशीन से आप एक-एक टॉफी को आकृति देंगे । लाइन बनाने और ब्रांड नेम छापने का काम भी उसी समय हो जाएगा। जहाँ तक एक कुंटल प्रतिदिन तक इस प्रकार की मिठाइयां तैयार करने का प्रश्न है, आप मात्र सात-आठ हजार रुपए की एक दाब प्रेस, चार-पाँच डाइयां और . पच्चीस-तीस टिन की चादर की ट्रे बनवाकर भी आसानी से कर सकत्ते हैं । इन पर आपकी बीस हजार रुपए से भी कम लागत आएगी और आप एक दाब प्रेस पर ही इन्हें बेलने, आकृति देने और काटने तक के सभी कार्य आसानी से कर लेगे । दाब प्रेस का प्रयोग करने पर पहले प्रत्येक ट्रे में निर्धारित भार का मिश्रण पिण्ड रखकर और सामान्य रुप से दबाकर उसे चौरस रूप दे दिया जाता है । फिर आकृति और लाइनें उभरी और ब्राण्डनेम खुदी डाई उस चौरस शीट पर " रखकर और दोबारा दाब देकर उन्हे वांछित आकार दे दिया जाता है । यही नहीं, इनके सूखकर कुछ कठोर हो जाने पर कटिंग रूलों से बनी सामान्य डाई प्रत्येक ट्रे के ऊपर रखकर और दाव प्रेस में इन्है दबाकर आप वांछित आकार में काट भी लेंगे ।
सस्ती चॉकलेट टॉफी (आर्टिफिशियल चॉकलेट)
इस फार्मूले में यदि आप जलाई हुई चीनी अथवा ब्राउन शुगर के स्थान पर एक किलो ग्राम कोको पाउडर और दोगुनी मात्राओं में दुग्ध पाउडर और जमाए हुए तेल का प्रयोगकरेगे, तब यह मध्यम स्तरीय चाकलेट फान्डेन्ट बन जाएगी । वैसे बालकों में अत्यन्त लोकप्रिय चाकलेट से मिलते-जुलते स्वाद और सुगन्ध वाली यह पर्याप्त कठोर टॉफी तीन से चार भाग सामान्य सफेद चीनी के साथ एक भाग (20०/० से 25०/०) जली हुई चीनी अथवा डीप ब्राउन शर्बत प्रयोग करके बनाई जाती है । जली हुई चीनी या डीप ब्राउन' शर्बत का रंग तो कोको पाउडर की तरह ब्राउन होता ही है स्वाद भी कुछ कडवा-कसैला होता है, अत: इस फार्मूले में कोको पाउडर मिलाना भी अनिवार्य नहीं । परन्तु चीनी को मिश्री के समान जमने से रोकने के लिए एक किलोग्राम ग्लूकोज या दस ग्राम क्रीम आफ टारटर का प्रयोग तो आपको करना ही होगा । सामान्य सस्ती टॉफी का आधारभूत फार्मूला इस प्रकार है----
सामान्य सफेद चीनी दस किलोग्राम
जलाई हुई चीनी । तीन बिग्लोग्राम
दुग्ध पाउडर दो किलोग्राम
जमाए हुए निर्गन्ध तेल एक किलोग्राम
क्रीम आफ टारटर दस गयारह ग्राम
ग्लूकोज व मक्खन रुचि अनुसार
वनीला व चाक्लेट की सुगन्ध रुचि अनुसार
चीनी को जलाकर चॉक्लेट जैसा रंग-रूप देने की बिधि इस खण्ड के पहले पोस्ट में दी जा चुकी है । धोड़े से गुनगुने पानी में क्रीम आँफ़ टारटर घोलकर रख लेते हैँ । चाशनी पूरी तरह तैयार होने से पूर्व ही इसमे दुग्ध पाउडर घोंटकर मिला लेते हैँ और आग से उतारते ही पानी में घुला हुआ क्रीम आफ टारटर मिलाकर घोंटने के बाद मक्खन अथवा वनस्पति घी मिला लिया जाता है । अन्त में सुगंध-मिश्रण मिलाने के बाद टॉफियां तैयार कर ली जाती हैँ । इस टॉफी में यदि बारीक पिसी सोंठ व बडी इलायची मिला ली जाए तब इसके स्वाद में और भी अधिक वृद्धि हो जाती है। यही नहीं, मिश्रण में पर्याप्त मात्रा में नमक, बारीक पिसी काली मिर्च, सोंठ पाउडर तथा गरम मसाले की कृत्रिम सुगन्थ का प्रयोग करके इन्हें जायकेदार नमकीन छोटी कठोर टाफियों का रूप भी दिया जा सकता है।
चॉकलेट फ्यूजड
इस मुलायम और पर्याप्त बड़े आकार में बनाई जाने वाली टॉफी को हमारे यहॉ प्राय: चांक्लेट या चॉकलेट टाफी ही कहा जाता है । परन्तु शायद ही हमारे देश में कोई निर्माता शुद्ध चाकलेट का प्रयोग कर रहा दो । प्राय: ही हमारे यहाँ चालीस प्रतिशत कोको पाउडर और साठ प्रतिशत रिफाइण्ड तेल मिलाकर प्रयोग करते हैं । वेसे भी शुद्ध चाकलेट में चिकनाई और कोको पाउडर लगभग इसी अनुपात में होते हैं, यह बात दुसरी है कि कोको वृक्ष के फलो को चॉकलेट पाउडर के रूप में परिवर्तित करते समय यह वसा तत्व भी कोको वृक्ष का ही हो है और उसमें पर्याप्त सुगन्ध भी होती है । वेसे मुलायम से लेकर कठोर तक इस प्रकार की हाई क्लांस चॉकलेट कैरामेल और फंदेंटेस आप इस फापूंले से तैयार कर सकते हैं ।कोको पाउडर। दो किलोग्राम
जमाए हुए तेल तीन किलोग्राम
दुग्ध पाउडर दो किलोग्राम
पिसी हुई चीनी सात किलोग्राम
वनीता, मक्खन और
चॉकलेट की सुगन्ध। आवश्यकतानुसार
तेलों में कोको पाउडर और तीन लीटर पानी में दुग्ध पाउडर मिलाकर अच्छी तरह घोंटकर रख लीजिए । चार लीटर पानी में चीनी डालकर चाशनी बनाइए और जब उबलने लगे, पहले तो दूध का घोल और फिर कोको पाउडर और चिकनाई का मिश्रण डालकर वांछित सीमा तक पकाने के बाद सुगन्ध मिलाकर जमा लीजिए । इस फार्मूले से मुलायम और कठोर हर प्रकार की चॉकलेटें बनाई जा सकती है ।
आंरेन्ज माँर्जीपाँन
सन्तरे की सुगन्ध और थोड़े खट्टे स्वाद वाली यह हाई क्लास टॉफी योरोप में तो भरपूर मात्रा में बादाम, ग्लूकोज, अण्डे और नींबू का रस मिलाकर तैयार की जाती है । इनके स्थान पर मूंगफ़ली के पिसे हुए दाने, सीट्रिक एसिड और अंडो के पाउडर का प्रयोग करके आप इसे सस्ते रूप में भी तैयार कर सकत्ते हैँ।पिसी हुई चीनी पाँच किलोग्राम
पिसी हुई मूंगफलियां चार किलो ग्राम
गलूक्रोज़ एक किलोग्राम '
अण्डो का पाउडर 100 ग्राम
नीबू का रस 250 मि०ली
कड़वे बादामों का तेल दस मि०त्ती०
सन्तरे की सुगन्ध व रंग इच्छानुसार
आप इसे आम, चेरी आदि अनेक फलो के स्वाद व सुगन्ध में तेयार कर सकते हैँ । मूंगफली के दानों को हल्का सा भूनने के बाद पीसकर उनका आटा बनाया जा सकता है । इसके स्थान पर मूंगफ़ली के दानो की खल का प्रयोग भी आप कर सकते हैं । इसकी अघिक जानकारी के लिए कृपया मेरा पोस्ट माल्ट फूड और माल्ट मिश्रित पेय का अवलोकन कीजिए। कड़वे बादामों का तेल इसे बादाम का स्वाद और सुगन्थ देने के लिए मीलाया जाता है । नींबू के रस के स्थान पर पानी में घोलकर साईट्रिक अथवा टारटेरिक एसिड और ग्लूकोज के स्थान पर चीनी या साफ गुड का उपयोग भी आप कर सकते हैं । अंडों के पावडर को एक लीटर पानी में चार घण्टे पहले घोलकर रख देते हैं जिससे वह फूल जाए । जहाँ तक निर्माण विधि का प्रश्न है चाशनी साफ़ करने के बाद पहले नींबू का रस या पानी में घुला सीट्रिक एसिड और उसके बाद मूंगफली का आटा डालकर निरन्तर चलाते हुए पकाते हैं । अंडों का घोल डालने के बाद कुछ समय और पकाते हैं तो रंग और सुगन्ध मिश्रण ठण्डा होने के बाद ही मीलाया जाता है ।
आम की टॉफी
मार्जीपांन पर्याप्त बडे माप में तैयार की जाती है, तो यह टॉफी कुछ मुलायम होते हुए भी छोटे आकार में । इसे वनीला अथवा अन्य कईं सुगन्धों में भी आप तैयार कर सकते हैं । यहाँ तक कि कोको पाउडर और चॉकलेट की सुगन्थ मिलाकर आप इसे सस्ती और कठोर चॉकलेट टॉफी का रूप भी दे सकते हैं ।पिसी हुई चीनी दस किलोग्राम
दुग्ध पाउडर पाँच किलोग्राम
मक्खन या रिफाइण्ड तेल 500 ग्राम
सीट्रिक एसिड 15 ग्राम
रंग व सुगन्ध रुचि अनुसार
भारतीय मिठाइयों के समान ही इन योरोपियन मिठाइयों के भी कोई निश्चित और अकाट्य फार्मूले नहीं । लगभग यही स्थिति इनकी नीर्माण प्रक्रिया की भी है । आप किसी भी स्तर पर यह उद्योग प्रारम्भ करें , प्रारम्भ में छोटे स्तर पर ही उत्पादन करना और क्षेत्रीय स्वाद एवं रुचियों का ध्यान रखना इस उद्योग में प्रवेश का सही मार्ग है और उत्पादों का अच्छा पैकिंग, भरपूर प्रचार तथा त्वरित बिक्री व्यवस्था सफलता का मूलमन्त्र है ।
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